नमस्कार, मैं हूँ डॉ. माहादेवन और मेरे साथ डॉ. एंड्रिया ड्रेफस हैं और हम हल्के श्वासकष्ट के उपचार के विषय पर बात करने वाले हैं। इस लेक्चर में हम निम्नलिखित विषयों के बारे में बात करेंगे: श्वसन तकलीफ के रोगियों के सही आसन पर। उन रोगियों को पूरक ऑक्सीजन कैसे दी जाए। रोगी की स्थिति का पुनरआंकलन कैसे किया जाए और यह समझा जाए कि आपके उपचार काम कर रहे हैं या नहीं। और अंत में, कुछ परिहार्य कठिनाइयाँ और सुरक्षा के मुद्दे। हल्के श्वासकष्ट के रोगी को संभालने की तीन मुख्य तरीके हैं रोगी को सही आसन में रखना, पूरक ऑक्सीजन प्रदान करना, और अन्य उपचार की ज़रूरत जानने के लिए रोगी का पुनरआंकलन करना। चलन के अनुसार श्वसन तकलीफ के रोगियों के उपचार का तरीका उन्हें सीधे बिठाने का है। डॉ. ड्रेफस, साँस की तकलीफ वाले रोगियों को इस आसन से फायदा क्यों होता है? साँस की तकलीफ वाले रोगी सीधा बैठना पसंद करते हैं क्योंकि इस से वे अपने फेफड़ों के पसार को अधिकतम बढ़ा सकते हैं और हवा के आदान प्रदान को सुधार सकते हैं। जो रोगी खुद से साँस ले रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन की कमी है (हाइपॉक्कसिक) और कोविड-19 संक्रमण के खतरे में हैं, उनके लिए एक नया तरीका निकल कर आया है, जो है विशेष रूप से उन्हें पेट के बल लेटाना, यानि प्रोन आसन में रखना। डॉ. ड्रेफस, श्वासकष्ट से पीड़ित रोगियों को प्रोन आसन में रखने की कोई पूर्ववर्ती है क्या? काफी दिलचस्प बात है कि ऐसी पूर्ववर्ती है। जागते हुए प्रोन आसन में होने से नलिका प्रवेशन (इंटुबैषेण) गति का कम होना और एआरडीएस के रोगियों के परिणाम में सुधार देखा गया है। प्रारूपीक क्रमाचार में 30 से 120 मिनट तक प्रोन आसन, उसके बाद बाईनी क्षैतिज स्थिति, उसके बाद दाईनी क्षैतिज स्थिति, और उसके बाद सीधे बैठने की स्थिति शामिल होते हैं। बिल्कुल ठीक। आमतौर पर, आपको इस नए आसन के लाभ 5 से 10 मिनट के बीच दिखाई देने लगेंगे। और यह ज़रूरी है कि यदि रोगी के साँस लेने में और आराम में कोई सुधार न हो तो किसी भी आसन को कायम नहीं रखना चाहिए। न्यूयॉर्क में, जो यूनाइटेड स्टेट्स में कोविड संक्रमण का उपरिकेन्द्र था, हाल ही में संचालित एक अध्ययन में 50 रोगियों की जाँच करी गई जिनकी ऑक्सीजन संतृप्ति पेश करने के वक्त 80 % थी। पूरक ऑक्सीजन लगाने के बाद उनकी मध्यम ऑक्सीजन संतृप्ति सुधर कर 84 % हो गई। इसका मतलब वे पूरक ऑक्सीजन के बावजूद अल्प-ऑक्सीय थे? हाँ, बिल्कुल सही। ऑक्सीजन कमी के चलन के उपचारों के बाद भी उनके खून में ऑक्सीजन की कमी थी। लेकिन हैरत की बात है कि प्रोन आसन अपनाने के पाँच मिनट बाद उनकी ऑक्सीजन संतृप्ति सुधर कर 94 % हो गई थी। इसलिए कोविड-19 संक्रमित रोगियों के अल्प-ऑक्सीयता (हाइपोक्सिया) उपचार के लिए स्वयं प्रोन आसन अपनाना आसान और किफ़ायती था। हल्के श्वासकष्ट के रोगी को सही आसन में रखने के बाद अगला कदम है पूरक ऑक्सीजन देना। श्वसन तकलीफ, खून में ऑक्सीजन की कमी, और आघात वाले रोगियों को पूरक ऑक्सीजन उपचार तुरंत देना चाहिए। पूरक ऑक्सीजन देने के कोई भी नित्य अंतर्विरोध नहीं हैं। पूरक ऑक्सीजन उपचार उन रोगियों के लिए बेअसर हैं जो साँस नहीं ले रहे हैं। जो रोगी साँस नहीं ले पा रहा उसे बैग की सहायता से मास्क ऑक्सीजन और उसके बाद एंडोट्रैकियल नलिका प्रवेशन (इंटुबैषेण) की ज़रूरत है। पूरक ऑक्सीजन देने की तीन आवश्यकताएँ हैं। ऑक्सीजन का स्रोत जैसे की ऑक्सीजन टैंक या ऑक्सीजन सांद्रक, बहाव मीटर वाला नैतिक दबाव रेगुलेटर, और नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला), सामान्य फेस मास्क, या एनआरबी मास्क जैसा वितरण उपकरण। ऑक्सीजन सिलिन्डर या दीवार स्थित स्रोत 99 से 100 % ऑक्सीजन देगा, जबकि सुवाह्य ऑक्सीजन सांद्रक से मिलने वाली ऑक्सीजन की फीसदी में अंतर हो सकता है परंतु सामान्य रूप से 90 % होती है। नैतिक दबाव रेगुलेटर ऑक्सीजन सिलिन्डर से निकलने वाले दबाव का नियंत्रण करता है। बहाव मीटर ऑक्सीजन के निकलने की गति का नियंत्रण करता है। बहाव की गति एक लीटर प्रति मिनट से लेकर 25 लीटर प्रति मिनट तक रखी जा सकती है। बहाव की सटीक गति इस पर निर्भर करेगी कि आप किस प्रकार का वितरण उपकरण इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दबाव पूरित बहाव मीटर है जो ऑक्सीजन के दीवार स्थित स्रोत से जुड़ा हुआ है। ऑक्सीजन की गति को बहाव मीटर पर लगी घुंडी को घुमाने से बंद या खोला या बदला जा सकता है। ऑक्सीजन के बहाव के अनुसार बहाव की एक गेंद उठती या गिरती रहती है। और बहाव की उच्चतम गति 15 लीटर प्रति मिनट है। हम तीन प्रकार के वितरण उपकरणों पर चर्चा करने वाले हैं, जो हैं नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला), सामान्य फेस मास्क, और एनआरबी मास्क। नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) से ऑक्सीजन का वितरण नाक में घुसाए दो छोटे प्रागों के माध्यम से होता है। ऑक्सीजन बहाव की गति आम तौर पर एक से छह लीटर प्रति मिनट होती है, जो 24 से 44 % का FiO2 देती है। नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) इस्तेमाल करते वक्त छह लीटर से ऊपर न जाने का कारण है बहाव की अधिक गति से श्लेष्मल झिल्ली में बेचैनी होना, जिस से खून निकल सकता है। यदि आप लंबे समय तक नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) इस्तेमाल करने वाले हैं, तो ऑक्सीजन को नम रखनेवाले उपकरण के इस्तेमाल करने पर विचार कीजिए। सामान्य फेस मास्क के दोनों तरफ खुली जगह होने से साँस लेने के समय कमरे की हवा अंदर जा सकती है और मास्क द्वारा दी गई ऑक्सीजन से मिल सकती है। छह से दस लीटर प्रति मिनट की गति में, एक सामान्य फेस मास्क 40 से 60 % का FiO2 दे सकता है। एनआरबी मास्क में मास्क के साथ एक बैग होता है जो ऑक्सीजन से भरा होता है। जब रोगी साँस अंदर लेते हैं, वे इस बैग से साफ ऑक्सीजन खींचते हैं। जब वे साँस छोड़ते हैं, हवा मास्क के बगल की जगह से बाहर निकलती है, बैग के अंदर नहीं जाती। बिल्कुल ठीक। यह सुनिश्चित करता है कि बैग हमेशा ऑक्सीजन से भरा रहता है। याद रखें, ऑक्सीजन बहाव गति 12 से 15 लीटर प्रति मिनट होनी चाहिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि साँस अंदर लेते वक्त बैग ढेर न हो जाए। एक और तरीका है नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) के ऊपर एनआरबी मास्क को लगाना, जो अधोग्रसनी और नासाग्रसनी में कार्बन डाईआक्साइड के उपेक्षक एकत्रण को बचाने से 100 % का उचित FiO2 देता है। पूरक ऑक्सीजन के पदशः उपचार के बारे में सोचने के समय, शुरुआत नाक प्रवेशनी या सामान्य फेस मास्क से करें, और यदि रोगी की स्थिति इन दोनों यन्त्रों से नहीं सुधरती, तो एनआरबी मास्क या एनआरबी मास्क के ऊपर नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) लगाएँ। श्वासकष्ट के किसी भी उपचार के बाद, जैसे की रोगी को किसी आसन में रखना या पूरक ऑक्सीजन देना, रोगी की नैदानिक स्थिति और जीवनांक का पुनरआंकलन बेहद महत्वपूर्ण है, खास तौर पर ऑक्सीजन संतृप्ति। नैदानिक पुनरआंकलन में शामिल होते हैं रोगी के स्वं आंकलन, की वे बेहतर महसूस कर रहे हैं या नहीं, उनके साँस लेने के कार्य और जीवनांक का, खास तौर पर उनकी श्वसन गति और ऑक्सीजन संतृप्ति। यदि इनकी हालत में सुधार है, यह दर्शाता है की आपके उपचार काम कर रहे हैं, कम से कम अभी के लिए। यदि इनकी हालत में सुधार नहीं है, इसका मतलब है आपको अधिक उपचारों के बारे में सोचना होगा जैसे कि रोगी को किसी और आसन में रखना या अधिक बहाव वाले नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) या नलिका प्रवेशन (इंटुबैषेण) और यांत्रिक वेनटीलेशन। डब्लूएचओ के दिशा-निर्देश के अनुसार रोगी को आसन में रखने के, पूरक ऑक्सीजन, और स्थायीकरण के बाद प्रौढ़ जन में ऑक्सीजन संतृप्ति का लक्ष्य 90 % से अधिक है। गर्भवती प्रौढ जन के लिए ऑक्सीजन संतृप्ति का लक्ष्य 92 से 95 % के बराबर या इस से ऊपर होता है। 100 % ऑक्सीजन संतृप्ति पाना आवश्यक नहीं है। तो ऑक्सीजन संतृप्ति लक्ष्यों को पाने के लिए ऑक्सीजन की मात्रा को टाइट्रेट कीजिए। यदि आप इन ऑक्सीजन संतृप्ति लक्ष्यों को नहीं पा सकते, अगला कदम नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) या गैर आक्रामक वेंटिलेशन के ऊंचे बहाव के बारे में सोचना होगा। इन प्रक्रियाओं पर अगले लेक्चर में चर्चा होगी। इसके बाद हम हल्के श्वासकष्ट से पीड़ित रोगियों की देख-भाल में परिहार्य कठिनाइयों पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले, उत्तेजित रोगियों के उपचार में बेन्ज़ोदइयाजेपीने या स्वापक पीड़ानाशक औषधियों से दूर रहें। यदि श्वासकष्ट से पीड़ित रोगी उत्तेजित है, तो पहले अल्प-ऑक्सीयता (हाइपोक्सिया) या श्वसन विफलता के बारे में सोचें और सुनिश्चित करें की आप इन स्थितियों का आंकलन और उपचार सही ढंग से कर रहे हैं। बिल्कुल ठीक। अल्प-ऑक्सीयता (हाइपोक्सिया) या श्वसन विफलता से उत्पन्न होने वाली बेचैनी वाले रोगियों को बेन्ज़ोडियाज़ेपाईन या सवाक पीड़ानाशक औषधि की दवा देना जान का खतरा बन सकता है। एमफिसिमा या सीओपीडी जैसी बाधक फेफड़े संबंधी बीमारी वाले, या जीर्ण श्वसन तकलीफ वाले रोगियों को ऑक्सीजन देते वक्त सावधानी बरतें। इन रोगियों को अक्सर हाइपरकार्बिया होता है, इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा ऑक्सीजन देना, खास तौर पर लंबे समय तक, उनके श्वसन चालन को नुकसान पहुँचा सकता है, और इसके कारण अधिक हाइपरकार्बिया, बदली मानसिक स्थिति, और पूर्ण श्वसन समाप्ति भी हो सकते हैं। याद रखें, इन रोगियों को ऑक्सीजन देने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन आपको ऑक्सीजन को उच्चतम मात्र के बजाए विशेष आवश्यकता के अनुरूप टाईट्रेट करना है। अंत में, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि ऑक्सीजन रोगी तक पहुँच रही है। मास्क और नाक प्रवेशनी अपनी ऑक्सीजन सप्लाई से निकल या हटे हो सकते हैं। और ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन की मात्रा सीमित होती है जो समय के साथ खत्म हो सकती है। जब दबाव 200 PSI या उस से कम हो तो ऑक्सीजन सिलिन्डर को बदलें। ऑक्सीजन देते समय, कुछ अहम सुरक्षा विषय हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, ऑक्सीजन सिलिन्डर इस्तेमाल करते समय सावधान रहिए और यदि वे ठीक से अटके या बंधे न हों तो उन्हें सीधे खड़े न रखिए। सही परिस्थितियों में, यदि वे गिरते हैं, तो ऐसा मुमकिन है कि वे रॉकेट बन जाएँ और लोगों को चोट पहुँचाए। बिल्कुल ठीक। इस विडिओ में, हम चलते ट्रक से ऑक्सीजन कनस्तर को गिरते और फिर सड़क पर रॉकेट के समान उड़ते और स्कूटर पर सवार एक मासूम व्यक्ति को मारते हुए देख सकते हैं। ऑक्सीजन आग के खतरे का प्रतिनिधित्व है क्योंकि इस से अन्य पदार्थों को कम ताप में और तेज़ एवं अधिक गर्मी से जलने में मदद मिलती है। इसलिए दहनशील पदार्थों को हमेशा ऑक्सीजन सिलिन्डर, रेगुलेटर, पुर्जों, वाल्व, और ट्युबिन्ग से दूर रखें। कभी भी किसी को ऑक्सीजन सिलिन्डर के पास आग की आँच से धूम्रपान करने न दें। अंत में, सिद्धांत रूप में, पूरक ऑक्सीजन और श्वसन सहायता के सभी तरीके श्वसन रोमाणु, जैसे कोविड-19 को एरोसोलाइज़ कर सकते हैं। इसका मतलब है कि नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला), फेस मास्क, या एनआरबी मास्क से ऑक्सीजन लेने वाले रोगी अपने पास की हवा में वायरल कण फैला सकते हैं। 2014 में हाँग काँग मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन यह बतलाता है कि पाँच लीटर पर नाक प्रवेशनी रोगी से 42 सेन्टीमीटर दूर तक कण फैला सकती है। मतलब, 10 लीटर पर आम फेस मास्क रोगी से तकरीबन 40 सेन्टीमीटर दूर तक कण फैला सकते हैं। और 12 लीटर पर एनआरबी रोगी से तकरीबन 10 सेन्टीमीटर दूर तक कण फैला सकता है। इस साल 2020 के एक नए अध्ययन ने यह पाया गया कि 15 लीटर पर एक आम मास्क के लिए कण का फैलाव 11 से 12 सेन्टीमीटर था, और 10 लीटर पर एनआरबी मास्क के लिए 25 से 27 सेन्टीमीटर। इन सभी अध्ययनों का महत्व क्या है? देखिए, सबसे पहले, इसका मतलब यह नहीं कि हमें अपने श्वासकष्ट के रोगियों को पूरक ऑक्सीजन नहीं देनी चाहिए। इन अध्ययनों से हम यह सीख सकते हैं कि फैलाव की संभावना है और कि हमें स्वयं की और रोगियों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिएँ। हाल ही के एक और अध्ययन में, जिसमें छोड़ी गई साँस की गति का नमूना बनाया गया था, यह पाया गया था कि ठीक से लगा सर्जिकल मास्क एरोसोलाइजेशन को काफी कम कर सकता है जब उसे निम्न या ऊंचे बहाव वाली नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) पर लगाया जाए। जैसा कि इस पहले चित्र में देखा जा सकता है, एक रोगी जो 6 लीटर पर नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) पर है, वह साँस छोड़ते वक्त वायरल कण को 1 मीटर मतलब 3 फुट की दूरी तक फैला सकता है। तथापि, नाक प्रवेशनी (नेजल कैनुला) के ऊपर सर्जिकल मास्क लगाने के बाद, आप देख सकते हैं कि कण के फैलाव में काफी गिरावट है। इस कारण साँस छोड़ते वक्त वायरल कण के फैलाव को कम करने के लिए नाक प्रवेशनी से ऑक्सीजन पाने वाले रोगी पर सर्जिकल मास्क लगाने पर विचार करें। संक्षेपण में, हल्के श्वासकष्ट वाले रोगी के उपचार में ठीक आसन में रखना, खास तौर पर प्रोन आसन शामिल हैं जो कि रोगी की जान बचा सकता है। इसके बाद पूरक ऑक्सीजन, जिसमे शुरुआत नाक प्रवेशनी या साधारण मास्क से होगी और फिर एनआरबी मास्क की ओर बढ़ा जाएगा। और इसके बाद, रोगी का पुनरआंकलन करना यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे उपचार से अनुक्रिय हैं या नहीं। संभावित कठिनाइयों से सतर्क रहें जैसे ऑक्सीजन के ऊंचे बहाव वाले सीओपीडी रोगियों की निगरानी न रखना, और अंत में, पूरक ऑक्सीजन के अलग-अलग तरीकों के फैलाव को ध्यान में रखें